यूटिलिटी डेस्क. किसी भी बिजनेस को सफल बनाने का एकमात्र तरीका है उसका बेहतरीन प्लान। जब प्लान कर लें तो स्टार्टअप में आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आपको इसकी साइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसे ऑनलाइन पंजीकरण करना भी कहते हैं। जैसे ही कोई स्टार्टअप के लिए एप्लीकेशन संबंधी जानकारियां अपलोड करेगा, उसका वेरिफिकेशन रियल टाइम में किया जाएगा। लेकिन इससे पहले आपको इन कुछ बातों का पालन करना जरूरी होता है।
इस योजना से जुड़ी खास बातें:-
व्यवसाय का रूप बताएं, जरूरी दस्तावेज जुटाएं
बताएं कि आपका व्यवसाय प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या पार्टनरशिप फर्म या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप, किस रूप में है। जरूरी दस्तावेजों में निगमन / भागीदारी पंजीकरण का प्रमाण-पत्र, पैन कार्ड, निवास प्रमाण, व्यवसाय के स्थान का किरायानामा या डीड, कंपनी का एमओए और एओए, ट्रेड लाइसेंस, जीएसटी पंजीकरण के साथ निदेशक पहचान संख्या (डीआईएन) और डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (डीएससी) के लिए आवेदन करें। फिर किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में कंपनी के नाम से चालू खाता होना आदि जरूरी हैं। फिर जो व्यवसाय शुरू करना है, उसे एक स्टार्टअप के रूप में पंजीकृत कराएं।
अपलोड किए जाने वाले दस्तावेज (पीडीएफ में)
पंजीकरण फॉर्म के साथ सिफारिश-पत्र देना होता है- इसमें डीआईपीपी द्वारा जारी प्रारूप में, महाविद्यालय में स्थापित इनक्यूबेटर से एक सिफारिशी-पत्र (व्यवसाय के बारे में) हो। या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त इनक्यूबेटर से सिफारिश का पत्र हो। अथवा व्यवसाय से जुड़े जर्नल में प्रकाशित एक पेटेंट। भागीदारी प्रमाण-पत्र। इसके अलावा व्यवसाय का संक्षिप्त विवरण, उत्पाद/ सेवाएं क्या रहेंगी बताएं।
तुरंत वेरिफिकेशन कोट प्राप्त करें:-
आवेदन करने पर अपने स्टार्टअप के लिए आपको एक वेरिफिकेशन कोड मिलता है। इसके बाद दस्तावेजों की जांच के बाद आपको परमीशन लेटर जारी किया जाएगा। दस्तावेज अपलोड करते समय सावधानी बरतें (गलत या जाली दस्तावेज अपलोड न कर दें) वर्ना न्यूनतम जुर्माना 25,000 रु. लग सकता है।
लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो बताएं:-
स्टार्टअप को 3 वर्ष के लिए आयकर से छूट दी गई है। इसका लाभ उठाने के लिए उन्हें अंतर-मंत्रिस्तरीय बोर्ड (IMB) द्वारा प्रमाणित होना चाहिए। तभी आप आयकर में छूट प्राप्त कर पाएंगे।
इन शर्तों को पूरा करना जरूरी है:-
अपनी कंपनी को एक प्रा.लि. कंपनी, साझीदारी फर्म या सीमित देयता भागीदारी के रूप में पंजीकृत कराएं।
आपको व्यवसाय पांच वर्ष तक चलाना जरूरी होगा। आपका टर्नओवर 25 करोड़ रु. से अधिक न हो।
बिजनेस में नया करने की दिशा में काम करेंगे।
आपका व्यवसाय मौजूदा किसी व्यवसाय के परिणाम का स्वरूप नहीं होगा।