जबलपुर. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई नई रेत नीति कानूनी दांव-पेंच में फंसती दिख रही है. मामले में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जवाब मांगा है. आपको बता दें कि 30 अगस्त 2019 को कमलनाथ सरकार ने रेत खनन, भंडारण और विक्रय को लेकर नई रेत नीति के कानून को लागू किया गया था.
याचिका में कही गई ये बात:-
जनहित याचिका के माध्यम से इस नए कानून को चुनौती देते हुए कहा गया है कि ये नीति दबंग और बाहुबली लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है जो कि अवैध रेत खनन को बढ़ावा देगी. याचिकाकर्ता मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपाण्डे ने बताया कि नई नीति में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए खनन और भंडारण के अलग-अलग प्रावधान हैं.
नदियों में भी किया गया भेदभाव:-
जबकि कमलनाथ सरकार की नई रेत नीति में नदियों में भी भेदभाव किया गया है. नए कानून के मुताबिक नदियों में ये भेदभाव खनन को लेकर है, जिसमें कुछ नदियों से बिना मशीन तो कुछ से मशीन से खनन करने की अनुमति दी गई है. एक और बड़ी खामी समूह की खदानों के टेंडर में है, जिसमें शर्तो के कुछ प्रावधान स्पष्ट नहीं हैं. जबकि पूरे मामले में याचिकाकर्ता के तथ्यों को सुनने के बाद अदालत ने सरकार से जवाब 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.