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Wednesday, November 6, 2019

इन पांच युवकों के कारण 'मुश्किल' में फंसी मध्यप्रदेश पुलिस, एक से बचने के चक्कर में दूसरी आफत ले ली है मोल!

भोपाल/ मध्यप्रदेश की पुलिस एक बार फिर से सवाल में है। एक मुसीबत से बचने के चक्कर में मध्यप्रदेश की पुलिस ने दूसरी आफत मोल ले ली है। जिसका प्रदेश में विरोध शुरू हो गया है। दरअसल, डीजीपी ने एक आदेश जारी किया अगर गिरफ्तार व्यक्ति अनुसूचित जाति और जनजाति का हो तो उसके साथ अभद्र व्यवहार और मारपीट नहीं की जाए। लेकिन डीजीपी को ये आदेश एक पुराने मामले की वजह से जारी करनी पड़ी है।
उस मामले में शामिल पांच युवकों के कारण मध्यप्रदेश की पुलिस ने दूसरी मुसीबत मोल ले ली है। जिस पर अब नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। दरअसल,जिस मामले को लेकर डीजीपी को यह आदेश जारी करना पड़ा है, वह झाबुआ-अलीराजपुर का मामला था। जहां पर अगस्त में मध्यप्रदेश की पुलिस पर पांच युवकों को पेशाब पिलाकर पिटाई करने का आरोप लगा था। ये सभी युवक दलित थे। इसे लेकर प्रदेश में काफी हंगामा हुआ था।
पांच युवकों को पुलिस ने किया था गिरफ्तार:-
दरअसल, अगस्त महीने में अलीराजपुर के कस्बाई थाना नानपुर ने पांच युवकों फाटा डैम के पास से हिरासत में लिया था। इन युवकों पर आरोप था कि इनलोगों ने पेट्रोलिंग के लिए गए पुलिस दल पर हमला कर दिया था। पुलिस इन सभी को थाने ले आई और उसके बाद थाने में पिटाई शुरू कर दी। पुलिस अनुसार सभी ने थाना प्रभारी पर हमला किया था। लेकिन इनके परिजनों ने आरोप लगाया कि ये सभी बेगुनाह थे, पुलिस थाने में लाकर बेरहमी से इनकी पिटाई की है।
पेशाब पिलाकर पिटाई:-
पांच युवकों के परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि नशे में पुलिस जवानों ने इन्हें उल्टा लटकाकर थाने में पिटाई की। पुलिस ने इनके साथ बर्बरता भी की। परिजनों ने कहा कि पुलिस हिरासत में इन्हें पेशाब पिलाई। अगले दिन इन पांच युवकों के परिजन थाने पर पहुंच हंगामा करने लगे। हंगामे के बाद मामला राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तक पहुंचा, उसके बाद कार्रवाई शुरू हुई।
चार पुलिसकर्मी हुए थे निलंबित:-
विवाद बढ़ा तो इस मामले में चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। जिसमें नानपुर पुलिस थाने के इंचार्ज भी शामिल थे। इसके साथ ही विभागीय जांच के भी उनके खिलाफ आदेश दे दिए गए। युवक के परिजनों ने कहा था कि वो सभी नानपुर के फाटा डैम के पास पिकनिक मनाने गए थे। विवाद के बाद सभी युवकों जमानत भी मिल गई थी। इसमें यशवंत बलंवत चौहान, विकास, आदित्य, राहुल और एक नाबालिग लड़का शामिल था। पुलिस की पिटई में तीन के हाथ और पैर में फ्रैक्चर थे।
ये हुई कार्रवाई:-
वहीं, इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के आदेश के बाद पुलिस ने इस मामले की जांच अलीराजपुर जिले के बाहर के अधिकारी से जांच करवाने का फैसला लिया। साथ ही पीड़ित युवकों को पचास-पचास हजार रुपये मुआवजे दिए गए। साथ ही आयोग ने मध्यप्रदेश की पुलिस को ये भी एश्योर करने को कहा कि इनके साथ फिर कोई ऐसी घटना न हो इसका पूरा ख्याल रखा जाए।
इनके चक्कर में पुलिस ने ली नई आफत:-
मध्यप्रदेश की पुलिस को इनके लिए ही एडवाइजरी जारी करनी थी। पुलिस ने सामूहिक रूप से यह एडवाइजरी जारी कर दी। और कहा कि थाने में गिरफ्तार लोग अगर अनुसूचित जनजाति से हों तो उनके साथ मारपीट और अभद्रता नहीं की जाए। हालांकि पुलिस के इस एडवाइजरी से मध्यप्रदेश के गृह मंत्री पूरी तरह से अनजान हैं।