भोपाल. मध्यप्रदेश में भाजपा की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। 24 अक्टूबर से 5 नवंबर तक भाजपा को तीन बड़े झटके लग चुके हैं। झाबुआ हार के बाद अब पन्ना जिले की पवई विधानसभा सीट से विधायक प्रहलाद सिंह लोधी की सदस्यता खत्म होने के मामले में भाजपा भले ही कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो लेकिन भाजपा इस मसले में फंसती जा रही है। भाजपा ने अब इस मसले में हाईकोर्ट की तरफ रूख किया है, लेकिन जिस आधार पर विधायक की सदस्यता खत्म की गई है वो फैसला सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिया गया है।
राज्यपाल ने बैरंग लौटाया:-
मध्यप्रदेश में भाजपा पवई विधानसभा सीट को लेकर फंसती जा रही है। विधायक की सदस्यता के मामले में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश नेतृत्व को फटकार लगाई थी। जिसके बाद से पार्टी के नेता सक्रिय हुए। बीजेपी के दस विधायक प्रह्लाद सिंह लोधी की सदस्यता को लेकर मंगलवार को राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने पहुंचे लेकिन राज्यपाल ने उन्हें खाली हाथ लौटा दिया क्योंकि राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने पहुंचे बीजेपी विधायकों के पास इस मामले में कोई भी लिखित शिकायत नहीं थी।
शिवराज दिल्ली तलब:-
वहीं, सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को इस मामले में भाजपा के आलाकमान ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली तलब किया। पहले से तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार शिवराज सिंह चौहान और अमित शाह की मुलाकात बुधवार को तय थी। लेकिन मध्यप्रदेश में बढ़े सियासी हलचल के बीच मंगलवार को ही शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली बुला लिया गया। इस दौरान पवई सीट के ऊपर भी चर्चा हुई है। जिसमें अमित शाह ने कहा है कि पवई सीट पर पार्टी स्टैंड ले। साथ ही शिवराज सिंह चौहान को कहा गया है कि एमपी के मामलों में दखल करें।
भाजपा के पास अब केवल दो रास्ते:-
भाजपा विधायक प्रहलाद सिंह लोधी के मामले में भाजपा का आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष किसी विधायक की सदस्यता को खत्म नहीं कर सकता है। लेकिन भाजपा के पास अब केवल दो तरीके ही हैं जिससे भाजपा इस मुश्किल से निकल सकती है।
1. हाईकोर्ट से अगर विधायक प्रहलाद सिंह लोधी को सजा पर स्टे मिलता है। तो विधायक की सदस्यता खत्म करने का आदेश निष्कि्रिय हो जाएगा और वो एक बार फिर से विधायक कहलाएंगे।
2. नियम के अनुसार अगर कोई विधानसभा सीट रिक्त है तो उस सीट पर छह महीने के अंदर उपचुनाव होते हैं। अगर हाईकोर्ट विधायक प्रहलाद सिंह लोधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उपचुनाव से पहले फैसला दे और सजा को दो साल से कम कर दे। तो विधायकी बची रहेगी।
किस नियम के कारण गई सदस्यता:-
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अऩुसार अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो सदस्यता खत्म हो जाएगी। साथ ही वह अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है। यह फैसला जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है।