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Wednesday, February 26, 2020

आसिया ने सुनाई पाकिस्तानी जेल में हुए जुल्म की दास्तां, एक जग पानी से शुरू हुआ यातनाओं का दौर

पेरिस. पाकिस्‍तान की जेल में प्रताड़ना से भरे आठ साल झेलने के बाद ईशनिंदा (Blasphemy) के आरोपों से बरी हुईं ईसाई महिला आसिया बीबी ने कहा कि वह एक अनजान देश कनाडा (Canada) में जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने की जद्दोजहद में हैं. इस दौरान उन्‍होंने घर लौटने के अपने सपने, जेल में झेली यातनाओं और एक जग पानी से शुरू हुए प्रताड़नाओं के दौर का जिक्र किया. आसिया बीबी (Asia Bibi) को ईशनिंदा मामले में फांसी की सजा सुना दी गई थी, लेकिन पाकिस्‍तान (Pakistan) के सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्‍हें बरी कर दिया. वह जेल से तो छूट चुकी हैं, लेकिन अब भी असली आजादी का अनुभव करने के लिए छटपटाती नजर आती हैं.
अपनी किताब 'एनफिन लिब्रे' को प्रमोट करने फ्रांस पहुंचीं आसिया:-
आसिया बीबी ने बताया कि वह अब तक कनाडा में घूमने के लिए नहीं निकली हैं. वह ज्‍यादातर समय अपने घर में ही रहती हैं. आसिया बीबी अपनी किताब 'एनफिन लिब्रे!' (Finally Free!) को प्रमोट करने के लिए फ्रांस (France) पहुंची हुई थीं. इसी दौरान एक साक्षात्‍कार में उन्‍होंने बताया कि वह अपनी बहनों, भाई, पिता और अपने ससुराल पक्ष को बहुत याद करती हैं. उन्‍हें उम्‍मीद है कि एक दिन सब कुछ बदलेगा और उन्‍हें पति आशिक, बेटी आइशाम व आइशा के साथ पाकिस्‍तान लौटने की मंजूरी मिलेगी. आसिया कहती हैं कि उन्‍होंने जेल में कभी भी आरोपों से बरी होने की उम्‍मीद नहीं छोड़ी थी.
जग से दो-चार घूंट पानी पीना आसिया बीबी को पड़ गया भारी:-
लाहौर से दक्षिण पूर्व में करीब 40 मील की दूरी पर आसिया का गांव इतानवाला है. इलाके में फलों के कई बगीचे हैं. जून की एक दोपहर आसिया मुस्लिम महिलाओं के साथ बगीचों में फालसा इकट्ठा कर रही थीं. कई घंटे काम करने के बाद किसी महिला ने आसिया को कुएं से पानी लाने को कहा. उन्होंने पानी निकाला और जग से दो-चार घूंट पानी पी लिया. इस पर मुस्लिम महिलाएं नाराज हो गईं. दोनों तरफ से कहासुनी हो गई. पांच दिन बाद आसिया के घर में जबरन पुलिस आ धमकी और ईशनिंदा के आरोप में मुकदमा चला. साल 2010 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. पाकिस्‍तान के सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में उन्‍हें बरी कर दिया. इसके बाद वह कनाडा चली गईं.
आसिया ने बताया, जेल में मुझे चेन से बांधकर घसीटा जाता था:-
किताब में आसिया बीबी कहती हैं कि आप मीडिया के जरिये मेरी कहानी जानते हैं. इसके बाद भी आप जेल में जिंदगी या मेरे नए जीवन को समझने से बहुत दूर हैं. मैं धार्मिक कट्टरता के कारण कैदी बनी. जेल में केवल आंसू मेरे साथी थे. उन्होंने पाकिस्तान जेल (Pakistani Jail) की भयावह स्थिति के बारे में बताया, जहां उन्हें चेन से बांधकर (chained) रखा जाता था. बीबी ने बताया, 'मेरे हाथों में हथकड़ियां थीं. मेरे लिए सांस लेना भी मुश्किल था. मेरी गर्दन पर लोहे का एक कॉलर रहता था, जिसके नट गार्ड टाइट करता था. खींचने के लिए गंदी जमीन पर लंबी चेनें रहती थीं. वे मुझे कुत्तों की तरह खींचते थे.
आसिया कहती हैं कि एक डर मुझे अंधकार की गहराइयों में ले जाता था. यह डर मेरा साथ कभी नहीं छोड़ेगा. मेरी रिहाई के बावजूद पाकिस्तान में ईसाइयों (Christian) के लिए माहौल नहीं बदला है. उन पर कई तरह के अत्याचार होते रहते हैं. कनाडा ने बेशक मुझे सुरक्षित स्थान और बेहतर भविष्य दिया है. लेकिन, वापस कभी अपनी मातृभूमि में कदम नहीं रखने की शर्त भी रखी है. उन्होंने कहा कि इस नए देश में मैं एक नए भविष्य और नई जिंदगी के लिए तैयार हूं, लेकिन इसके लिए मुझे भारी कीमत चुकानी पड़ी है. उन्‍होंने कहा कि अगर शुक्रवार को फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से मेरी मुलाकात होती है तो मैं यहां रहने की इच्‍छा जाहिर करूंगी.