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Thursday, September 1, 2022

मनमाने दामों पर बिक रहा नकली खरपतवार व कीटनाशक, किसानों की फसलें बर्बाद


करैरा। फसल में इस समय जमकर खरपतवार पनप रही है। वहीं कई जगह कीटों का प्रकोप भी दिखाई देने लगा है। जिसको लेकर किसान चितिंत नजर आ रहे हैं। उनकी चिंता का कारण दुकानों से खरीदे जा रहे कीटनाशक हैं, क्योंकि अधिकतर जगह छिड़काव की जा रही दवाएं बेअसर हो रही हैं तो कुछ जगह फसल चौपट हो रही है।

इतना ही नहीं जो दवाएं दुकानों पर बिक रही हैं, वे महंगे दाम के साथ ही कच्चे बिल पर दी जा रही हैं। जिससे किसान प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहा है, लेकिन कृषि विभाग की कार्रवाई भी दवाओं की तरह बेअसर साबित हो रही है। करैरा ब्लाक में कीटनाशक की 1 दर्जन से अधिक दुकानें है लेकिन समय रहते किसी दुकान की जांच नही की गई। नाम मात्र को किसानों की शिकायत पर 1-2 दुकानों के सेंपल लिए गए। जिसकी जांच रिपोर्ट दवाओं के छिड़काव के बाद आएगी। इससे किसानों को समय पर जानकारी नहीं मिल पाएगी कि किन दवाओं का उपयोग फसल के लिए सही रहेगा।

किसान दवाएं नकली होने की शिकायत कर रहे हैं, लेकिन कार्रवाई की गति धीमी है। करैरा क्षेत्र के लगभग 125 गांवों के हजारों किसानों द्वारा क्षेत्र भर की 100 से अधिक दुकानों से खरपतवार नाशक और कीटनाशक खरीदा जाता है। लेकिन कृषि विभाग की उदासीनता के कारण किसानों को गुणवत्ता वाली दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। वहीं हर दुकानदार कच्चे बिल पर और महंगे दाम पर दवाएं बेच रहा है।

किसानों की मानें तो क्षेत्र में कई दुकानों पर इस समय नकली दवाएं बेची जा रही हैं। इनका फसलों पर लगे कीटों पर कोई असर नहीं हो रहा है। सोयाबीन व धान की फसल का अंकुरण देर से होने के बाद किसानों को फसल में कीटनाशक व खरपतवार दवा का छिड़काव करना पड़ रहा है, लेकिन किसानों को दवाएं विभिन्न कंपनियों के नाम से महंगे दामों पर विक्रय की जा रही हैं। किसानों का कहना है कि जो दवाएं इस समय दुकानों पर बेची जा रही हैं, वह फर्जी कंपनियों की होने के कारण ठीक ढंग से न तो खेतों से चारा समाप्त कर पा रही हैं और न ही कीट लगने पर कीट समाप्त हो रहा है।


•नहीं दिया जा रहा पक्का बिल

किसानों का कहना है कि दवा विक्रेता दवा खरीदने पर पक्का बिल न देकर कच्‍चा बिल थमा रहे हैं। साथ ही महंगे दाम में भी दवाएं दी जा रही हैं। इससे विक्रेताओं को अच्छा मुनाफा हो रहा है, लेकिन किसान दवा बेअसर होने और फसल को नुकसान पहुंचने पर कच्चे बिल के कारण उपभोक्ता फोरम में दावा भी नहीं कर पा रहे हैं।


केस-1 ग्राम ढिगवास में 150 बीघा की फसल बर्बाद

करैरा अनुविभाग के मगरौनी क्षेत्र में आने वाले गांव ढिगवास के किसानों की 150 बीघा में लगी धान की फसल नकली दवा के छिड़काव से नष्ट हो गयी। किसानों ने कलेक्ट्रेट और तहसील पहुंचकर इसके संबंध में शिकायत की। किसानों ने कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि उन्होंने खरपतवार नाशक दवा मां कालका ट्रेडर्स मगरौनी स्थित दुकान से खरीदी थी। इस दवाई का प्रयोग खेतों में करते ही दो दिनों के भीतर ही पूरी धान की फसल बर्बाद हो गई है।


केस-2 करैरा में खरपतवार नाशक के छिड़काव से 80 बीघा की फसल बर्बाद

घास मारने वाली दवा के छिड़काव से करीब 3 दर्जन से अधिक किसानों की करीब 70-80 बीघा में बोई मूंगफली की फसल नष्ट हो गई, इनमें ग्राम मुंगावली, मछावली, दवरा आदि ग्राम के किसान शामिल है, पीड़ित किसानों का आरोप था कि उन्होंने गेड़ा एजेंसी नामक दुकान जो पुलिस चौकी करैरा के पास है से घास मारने वाली दवा खरीदी थी एवं दुकानदार द्वारा बताए गए तरीके से दवा मिलाकर उसका छिड़काव किया था मगर करीब 8 दिन बाद मूंगफली की फसल नष्ट हो गई, जब दुकानदार के पास पीड़ित किसान पहुचें तो उन्हें यह कहकर दुकानदार ने भगा दिया। किसानों ने इस संबंध में एसडीएम दिनेशचंद्र शुक्ला को ज्ञापन देकर अमानक दवा बेचने वाले और कंपनी के खिलाफ कार्रवाई और फसल नष्ट होने पर सहायता राशि की मांग की थी।